इस वजह से अमेरिकियों के मुकाबले भारतीयों को डायबिटीज का खतरा अधिक है

इस वजह से अमेरिकियों के मुकाबले भारतीयों को डायबिटीज का खतरा अधिक है

सेहतराग टीम

क्‍या लंबाई भी किसी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या की वजह हो सकती है? अबतक वैज्ञानिक ऐसी किसी बात पर भरोसा नहीं करते थे मगर अब नए अध्‍ययनों ने इस बारे में कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। एक नए अध्‍ययन के बाद विश्‍लेषकों ने दावा किया है कि लंबे लोगों की तुलना में कम हाइट वालों को टाइप 2 डायबिटीज का खतरा अधिक रहता है।

इस अध्‍ययन का निष्‍कर्ष है कि लंबाई में 10 सेंटीमीटर की वृद्धि डायबिटीज के खतरे को 30 फीसदी तक कम कर देती है। पुरुषों में लंबाई 10 सेंटीमीटर बढ़ने पर डायबिटीज का खतरा 41 फीसदी कम हो जाता है जबकि महिलाओं में लंबाई 10 सेंटीमीटर बढ़ने पर डायबिटीज का खतरा 33 फीसदी कम हो जाता है। इसका सामान्‍य सा अर्थ ये है कि  मतलब ये है कि अमेरिकी पुरुष के मुकाबले भारतीय पुरुषों में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा 50 फीसदी अधिक होता है। इसकी वजह ये है कि अमेरिकी पुरुषों की औसत लंबाई 177.1 सेंटीमीटर होती है जबकि भारतीय पुरुषों की औसतन लंबाई  इससे 12.2 सेंटीमीटर कम यानी 164.9 सेंटीमीटर होती है।

लंबे पैर वालों को डायबिटीज का खतरा कम

मेडिकल जर्नल डायबेटोलॉजिया के अनुसार जिन लोगों के पैर लंबे होते हैं उन्हें डायबिटीज का खतरा कम रहता है। मतलब पैर जितने लंबे होंगे डायबिटीज का खतरा उतना ही कम रहेगा। हालांकि महिलाओं की तुलना में पुरुषों के लिए यह ज्यादा फायदेमंद होती है।

दिल से जुड़ी बीमारी का खतरा भी अधिक

स्टडी की मानें तो लंबे लोगों में लिवर फैट कंटेंट, शॉर्ट हाइट वालों की तुलना में कम होता है। साथ ही शॉर्ट हाइट वालों में लंबे लोगों की तुलना में इंसुलिन रेजिस्टेंस भी अधिक होता है औऱ साथ ही इनमें फैट जमा होने की प्रवृत्ति भी अधिक होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कम हाइट वालों की कमर का दायरा लंबे लोगों की तुलना में अधिक होता है। कम हाइट वालों में डायबीटीज के साथ-साथ दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी अधिक होता है।

क्या है टाइप 2 डायबिटीज?

टाइप 1 डायबिटीज जन्मजात स्थिति है जिसमें शरीर इंसुलिन बिलकुल नहीं बना पाता और दुनियाभर में पाए जाने वाले डायबिटीज मामलों के सिर्फ 10 प्रतिशत मामले ही टाइप 1 डायबिटीज के होते हैं। वहीं, टाइप 2 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन तो बनाता है लेकिन जरूरत से कम जिस वजह से शरीर ग्लूकोज को अवशोषित नहीं कर पाता और खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने लगती है। लंबे समय तक ऐसा होने से मोटापा, अंधापन, किडनी डैमेज, हार्ट डिजीज, स्ट्रोक तथा अन्‍य अंगों को नुकसान जैसी दिक्कतें होने लगती हैं। देश के जाने माने डायबेटोलॉजिस्‍ट और एम्‍स दिल्‍ली के मेडिसीन विभाग के पूर्व अध्‍यक्ष डॉक्‍टर अनूप मिश्रा के अनुसार दुनियाभर में 42 करोड़ लोग डायबिटीज की समस्या से पीड़ित हैं। अकेले भारत में 7 करोड़ से अधिक लोगों के डायबिटीज से पीड़‍ित होने का अनुमान है।

 

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